Thursday, September 16, 2010


वो नाराज़ हैं हमसे की हम कुछ लिखते नहीं ,
कहाँ से लायें लफ्ज़ जब हमको ही मिलते नहीं ,
दर्द की जुबान होती तोह बता देते शायद ,
वो ज़ख्म कैसे कहें जो दीखते नहीं |

दिल को किसी आहत की आस रहती है ….
निगाह को किसी चेहरे की प्यास रहती है ….
तेरे बिन किसी चीज़ की कमी तो नहीं ….
पर तेरे बिन ज़िन्दगी उदास रहती है|

इश्क एक तरफ हो तो सजा देता है,
इश्क दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है,
फर्क सिर्फ इतना है…….
कोई खामोश रहता है तो कोई बता देता