Saturday, January 17, 2009

Arz Kiya Hai...........


जिनकी आंखे आंसु से नम नही
क्या समझते हो उसे कोई गम नही।
तुम तडपके रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपाके हंसने वाला भी कुछ कम नही।

वो हमको बुलाते है हम जा भी नही सकते
मज़बूरी मगर उनको बतला भी नही सकते
ना जाने खता क्या है इस कदर खफा है वो
पहलू मे उन्हे अपने हम ला भी नही सकते।

चाहे ना बिठाये वो मेहफिल मे हमे अपनी
दिल मे वो हमारे है ठुकरा भी नही सकते
अब आखिरी सांसे है जाते है जहाँ से हम
संदेशा उनको भिजवा भी नही सकते।

ये खामोश समा भी कई राज़ कह जाता है
चुप रहके भी कई लफ्ज़ बयान कर जाता है
तकलीफ तब नही होती जब कोई दिल तोड जाता है
दर्द तब होता है जब कोई अपना हमसे रुठ जाता है।

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