कुछ बीते लम्हे जब लौट कर आते हैं !!
गम के साए साथ में लाते हैं !!
हम जितना भी चाहे आईने के सामने मुकुराना !!
ना जाने आँसु कहाँ से आँखों में भर आते हैं !!
अपनी दुनिया को आज भी ख़्वाबों से सजाते हैं !!
आँख खुलते ही ये सब भी टूट जाते हैं !!
जानते हैं ना सच होगा अब कोई सपना हमारा !!
फिर भी आँखों में वो सुनहरे सपने सजाते हैं !!
खल रही है ये दूरी सोचते है अब लौट आते हैं !!
एक पल भी ना तुम्हारे बिना हम ख़ुशी से जी पाते हैं !!
पर मंजूर ना होगा हमारा मिलन फिर से इस जालिम दुनिया को !!
बस यही सोच कर फिर "चाहत" के कदम खुद ही रुक जाते हैं !!
हम जितना भी चाहे आईने के सामने मुकुराना !!
ना जाने आँसु कहाँ से आँखों में भर आते है !!!!
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