Sunday, September 28, 2008

कोई दीवाना कहता है...................


कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है।

तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है

कभी कबिरा दिवाना था, कभी मीरा दिवानी है।

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं

जो तू समझे तो मोती है , जो ना समझे तो पानी है।

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