Thursday, October 16, 2008

Jakhm..........


कुछ ज़ख्म ऐसे है जो शौक से ढोए जा रहे हैं,
तोड़ कर दिल अपना दुसरों के सपने सँजोए जा रहे हैं,
कुछ राज़ ऐसे भी है जो सिर्फ एक से हैं बताए जाते,
पर उन्हें भी वो ज़ख्म दिखाए नहीं जाते ।

डुबते को तिनके का सहारा होता,
दुनिया की इस भीड़ में कोइ तो हमारा होता,
काँटों को भी फूल समझ सीने से लगा लेते ,
अगर उनका एक इशारा होता ,
दुनिया की इस भीड़ में कोइ तो हमारा होता |
.
लड़खड़ाए कदम क्या रास्ते हीं खो गए,
और पलक भर झपके हीं थे कि वे और किसी हो गए,
ऊफ ये दर्द ना सहना पड़ता ,
काश मेरा भी दिल उनकी तरह आवारा होता ,
दुनिया की इस भीड़ में कोइ तो हमारा होता |
.
हमे भी मुस्कुराना आ जाता, अगर नज़रे चुराना आ जाता
क्यों तड़पते भर भर के आहें,
खुद जो मरहम लगाना आ जाता,
मज़धार में भटके को मिल गया किनारा होता,
दुनिया की इस भीड़ में कोइ तो हमारा होता |
.
कुछ देर के लिए ये वक्त ठहर जाता तो , हम साथ उनके हो लेते
रुक भी जातीं ये साँसे तो,
पल भर हीं साथ उनके जी लेते,
ना ठेस लगती इस हाथ में जो हाथ तुम्हारा होता,
दुनिया की इस भीड़ में कोइ तो हमारा होता

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